Mahasamund district : महासमुंद जिले को जानिए :महासमुंद जिले का इतिहास और सामान्य परिचय
महासमुंद जिला छत्तीसगढ़ के पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह जिला 6 जुलाई 1998 को स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आया। पहले यह रायपुर जिले का हिस्सा हुआ करता था। छत्तीसगढ़ को प्राचीन काल में दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था। दक्षिण कौशल की तत्कालीन राजधानी श्रीपुर या सिरपुर वर्तमान महासमुंद के अंतर्गत ही आती है। यहाँ के खल्लारी में महाभारत कालीन साक्ष्य मिलने का दावा किया जाता है। महासमुंद को मेलों की धरती भी कहा जाता है। यहाँ के सिरपुर मेला, चंडी मेला, खल्लारी मेला में दूर-दराज से लोग जुटते हैं। विश्व प्रसिद्ध ‘लक्ष्मण मंदिर’ के दर्शनों के लिए देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते है।
जिले की प्रशासनिक जानकारी
महासमुंद जिला 6 जुलाई 1998 को अस्तित्व में आया। जिले का क्षेत्रफल 4790 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 10, 32, 754 है। महासमुंद जिला मुख्यालय भी है। इसके अंतर्गत 5 तहसील, 5विकासखंड ,1 नगर पालिका 5 नगर पंचायत और 491 ग्राम पंचायत हैं।
कृषि
गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, मूंगफली, तिलहन यहां की प्रमुख फसलें हैं।
अर्थव्यवस्था
महासमुंद खनिजों के लिहाज से संपन्न जिला है। इस क्षेत्र में महत्वूपर्ण एवं आर्थिक रूप से कीमती खनिज पाये जाते हैं। यहां सोना, टिन अयस्क, सीसा अयस्क, फ्लोराइड, फीरोज़ा, ग्रेनाइट, चूने के पत्थर और फ्लोराइड आदि पाया जाता है। जिले में डेढ़ सौ से अधिक राइस मिल और ब्लैक स्टोन व पॉलिशिंग फैक्ट्री हैं। इन सब ने मिलकर जिले को मजबूत आर्थिक आधार दिया है। इसके अलावा यहां लकड़ी चीरने का उद्योग, दाल मिल आदि भी हैं।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
प्रमुख काॅलेज
प्रतिभा काॅलेज ऑफ एजुकेशन,सरायपाली
जयहिन्द महाविद्यालय, महासमुन्द
रामचण्डी काॅलेज, सरायपाली
शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महासमुन्द
स्व.राजा वीरेन्द्र बहादूर सिंह शासकीय महाविद्यालय, सरायपाली
स्व. श्री जयदेव सतपथी शासकीय महाविद्यालय, बसना
श्याम बालाजी काॅलेज, महासमुन्द
शासकीय माता कर्मा, कन्या महाविद्यालय, महासमुन्द
शासकीय चन्द्रपाल डडसेना महाविद्यालय, पिथौरा
इंडियन काॅलेज ऑफ एजुकेशन, महासमुन्द आदि
प्रमुख स्कूल
गवर्नमेंट डीएमएस स्कूल महासमुंद केंद्रीय विद्यालय
स्वामी आत्मानंद गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल
आसी बाई गोलछा गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल
आदिवासी कन्या आश्रम
सरस्वती शिशु मंदिर
ड्रीम इंडिया स्कूल
महासमुंद वन विद्यालय
सेंट फ्रांसिस स्कूल
कार्मेल कान्वेंट स्कूल बागबहरा
सेंट स्टीफेंस माॅडल स्कूल सरायपाली
महर्षि विद्या मंदिर
हेड एंड हार्ट स्कूल आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर
सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर महासमुन्द जिले का प्रमुख आकर्षण है। इस मंदिर का निर्माण पांडु वंशीय शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में हुआ। उनकी माता वासटा देवी ने अपने पति हर्षगुप्त की पुण्य स्मृति में इस मंदिर का निर्माण करवाया। लाल ईंटों पर जिस नफ़ासत और बारीकी से नक्काशी की गई है, वह इस मंदिर को अनोखा बनाती है। नागर शैली में बने इस मंदिर का हर कोना सुंदर है फिर चाहे वह प्रवेश द्वार हो, मंडप हो या गर्भगृह। ईंटों पर हाथी, सिंह, पशु-पक्षी और कामुक मूर्तियां उत्कीर्ण की गई हैं।
मंदिर के तोरण के ऊपर शेषशैय्या पर लेटे भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है। इस प्रतिमा की नाभि से ब्रह्मा जी के उद्भव को दिखाया गया है और साथ ही भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी विराजमान हैं। इसके साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों को चित्रित किया गया है। हालाँकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है लेकिन यहाँ मंदिर के गर्भगृह में पांच फनों वाले शेषनाग पर लक्ष्मण जी की प्रतिमा विराजमान है। इसलिए इसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से पुकारा जाने लगा।
बम्हनी स्थित श्वेत गंगा कुंड
यह महासमुन्द से 10 किमी पश्चिम में बम्हनी गांव में स्थित है, जहां नदी में निरंतर प्रवाहित होने वाला कुंड ‘श्वेत गंगा’ प्रसिद्ध है। इस कुंड के समीप भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां मांघ पूर्णिमा तथा महाशिवरात्रि के दौरान मेला लगता है। सावन माह के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
खल्लारी माता मंदिर
खल्लारी माता मंदिर महासमुंद से लगभग 25 किलोमीटर दक्षिण में खल्लारी गांव की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। खल्लारी माता का यह मंदिर कल्चुरि काल का है। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 800 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान पांडव इस पहाड़ी की चोटी पर आए थे। कहते हैं कि इस चोटी पर भीम के कदमों की छाप है।
आनंद प्रभु कुटी विहार
महासमुंद में आनंद प्रभु कुटी विहार को बुद्ध विहारों में प्रमुख विहार माना जाता है। यह विहार तत्कालीन सुंदर शिल्प कौशल का एक उदाहरण है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार भगवान गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्यों में से एक भिक्षु आनंद प्रभु ने इसका निर्माण करवाया था। यहां भगवान बुद्ध की एक विशाल मूर्ति भी है।
चंडी मंदिर
चंडी माता मंदिर महासमुंद का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर बिरकोनी ग्राम में स्थित है। महासमुंद से 12 किमी दूर स्थित इस मंदिर में हर साल नवरात्रि के समय विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं और मां चंडी के दर्शन करते हैं। कहते हैं मां के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।
सिसुपाल पर्वत बूढ़ा डोंगर
सिसुपाल पर्वत की ऊंचाई तल से हजारो फिट ऊपर है जहां तक आज पिकनिक स्पॉट है लेकिन उसके ऊपर और कई किलोमीटर क्षेत्र में सिसुपाल पर्वत फैला जो राजाओं और सैनिकों के लिए एक अभेद किला था और किले में सस्त्र और सैनिक और इस पर्वत में भी गुप्त सुरंगे और रास्ते थे राजा और रानियां भाग भी सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया अंग्रेजी सल्तनत द्वारा आक्रमण के बाद जब अंतिम राजा और सैनिकों द्वारा अंग्रेजो के मध्य भयंकर लड़ाई लड़ा गया था युद्ध मे अंतिम राजा के मारे जाने के बाद ही 7 रानियों ने मर्यादा की रक्षा के लिए 1 हजार फीट की चोटी से घोड़ो पर पट्टी बांधकर छलांग लगा दिए और इसी का नाम घोड़ा धार पड़ा ।
सरायपाली से 20 दूर पहाडों और चट्टानो के बिच कर सकते है मां रूद्रेष्वरी का दर्शन सिंघोडा
सरायपाली से सम्बलपुर जाने वाले राजमार्ग क्रमांक 53 में सरायपाली से 20 किलोमीटर दूर ओडिसा सीमा से लगे ग्राम सिंघोडा में स्थित है माता रुद्रेस्वरी का मंदिर। पहाडों और चट्टानो को काटकर बनाया है माता रुद्रेश्वरी देवी का भव्य मंदिर स्वर्गीय स्वामी शिवानंद जी महाराज के द्वारा तीन दषक पहले सन 1977 में बनाया गया था. बताया जाता है कि स्वामी शिवानंद आसाम से द्वारीकापुर की पैदल तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे और यात्रा के दौरान इसी पहाडी पर शांत वातावरण ने उन्हे कुछ देर रूकने पर विवष कर दिया, उन्हे विश्राम के दौरान माता के भव्य मंदिर बनाने की आत्म प्रेरणा मिली।
छछान माता नवागांव वाली भी आदि शक्ति मां भवानी जगतजननी जगदम्बा का रूप और नाम है। छछान माता छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद मुख्यालय से तुमगांव स्थित बम्बई कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर महासमुंद से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर सीधे हाथ की ओर लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित हैं। माता जी दर्शन करने सार्वजनिक बस से या निजी सड़क वाहन से पहुंचा जाता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही महासमुंद से मंदिर जाते समय दाहिने तरफ माताजी का नाम लिखा हुआ भव्य स्वागत द्वार है। स्वागत द्वार से ही सामने देखने पर सीमेंट निर्मित बहुत बड़ा गोलाकार ग्लोब निर्मित है। उसके उपर चार भुजाधारी शिवजी की मूर्ति बनाई गई है। स्वागत द्वार से ही मंदिर की अध निर्मित सीढियां दिखाई पड़ती हैं। सीढियां ऐसी है जिसमें खुले पत्थर रखे गए हैं जिससे माताजी के मंदिर तक पहुंचा जा सके।पहाड़ी से घूमकर एक और मार्ग है जो ढलान नुमा है जिस पर सीढ़ी नहीं है। पहाड़ी के नीचे ही शिवलिंग की चौड़ी है और भैरव बाबा का छोटा सा मंदिर है। पहाड़ी के ऊपर दानदाताओं के आर्थिक सहयोग से वर्तमान में भव्य मंदिर निर्माणाधीन है।
माता छछान माता मंदिर के आसपास पहाड़ी पर माता जी के विभिन्न रूप की मूर्ति छोटे छोटे मंदिर में स्थापित किये गये हैं। जिनमें काली माता, विंध्यवासिनी माता, पाताल भैरवी माता, बिलई माता, माता चंडी, भोलेनाथ, नाथल दाई, रतनपुर महामाया प्रमुख हैं। कई माताएं पहाड़ी के गुफाओं में विराजमान हैं। पहाड़ी पर बेल, कर्रा, भिरहा, सेनहा, धौरा के वृक्षों के प्राकृतिक जंगल विद्यमान हैं।
कैसे पहुँचे
प्लेन से
महासमुंद के लिए निकटतम हवाई अड्डा रायपुर में है, जो 36 किलोमीटर दूर है।
ट्रेन से
महासमुंद में एक छोटा स्टेशन है लेकिन
देश के अन्य प्रमुख शहरों से महासमुंद के लिए नियमित ट्रेन नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन रायपुर में है, जो 50 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग से
NH 53 और NH 153 महासमुंद से होकर गुजरते हैं। अन्य सड़कें भी नजदीकी शहरों से अच्छी तरह जुड़ी हुई हैं।