पहले महासमुंद विधानसभा बनने के बाद बसना तथा सरायपाली को विधानसभा का दर्जा मिलने में कितने वर्ष लग गए सरायपाली और बसना के पहले विधायक कौन कौन और किस पार्टी के थे ?
छत्तीसगढ़ बसना हेमन्त वैष्णव 9131614309
पहले महासमुंद विधानसभा में खल्लारी, बसना, सरायपाली भी शामिल था 1950 में महासमुंद विधानसभा बना और इसके 17 साल बाद , बसना तथा सरायपाली को विधानसभा का दर्जा मिला। खल्लारी, बसना और सरायपाली 1977 में विधानसभा के रूप में अस्तित्व में आया
बता दें कि अभिवाजित मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के सरायपाली विधानसभा क्षेत्र का पहला विधानसभा चुनाव 1977 में हुआ, जहां से मोहनलाल रामप्रसाद कांग्रेस पार्टी का बाना लेकर विधायक बने। वर्ष 1980 में कांग्रेस के ही मोहनलाल रामप्रसाद, 1985 में पुखराज सिंह निर्दलीय, 1990 में भाजपा के नरसिंग प्रधान, वर्ष 1993 में मोहनलाल चौधरी कांग्रेस, 1998 में देवेन्द्र बहादुर कांग्रेस,थे
इसी तरह बसना विधानसभा में भी 1977 में पहला विधायक बीएस लालबहादुर कांग्रेस के पहले विधायक बने और 1980 में वे कांग्रेस पार्टी में रहकर दुबारा विधायक बने। वर्ष 1985 में यहां से महेन्द्र बहादुर कांग्रेस से विधायक बने। वर्ष 1990 में लक्ष्मण जयदेव सतपथी जनता दल से विधायक हुए।
1993 में महेन्द्र बहादुर निर्दलीय के रूप में जीते और 1998 में फिर से महेन्द्र बहादुर कांग्रेस के विधायक बने। 2003 में बसना से डॉ. त्रिविक्रम भोई भाजपा के पहले विधायक बने। 2008 में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और देवेन्द्र बहादुर कांग्रेस के विधायक बने। वर्ष 2013 में रूपकुमारी चौधरी भाजपा के बैनर तले विधायक बनीं।
और फिर 2018 के चुनाव में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और देवेन्द्र बहादुर कांग्रेस के विधायक बने जिसमे भाजपा से डीसी पटेल को हार मिली वही भाजपा से बागी होकर बसना के डॉ संपत अग्रवाल निर्दलीय चुनाव लड़े और 50 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए और दूसरे नम्बर पर रहे वही भाजपा प्रत्यासी डीसी पटेल तीसरे स्थान पर ।