CG -/ गांव में पौनी पसारी प्रथा के अंतर्गत मोबाइल सेलून प्रचलित ये एक जगज नही रहते गांव के गलियों में घूम घूम कर ………
CG -/ Mobile salons are prevalent in the village under Pauni Pasari practice, they do not live alone roaming in the streets of the village…..
छत्तीसगढ़ chhattisgarh
अंचल में आज भी पौनी पसारी की प्रथा प्रचलित है जबकि 21वीं सदी में आधुनिकता की होड़ मची हुई है और ज्यादातर लोग सैलून में ही बाल दाढ़ी बनाना पसंद करते हैं। समय के साथ साथ अनेक आधुनिक यंत्रों ने काम करने के रंग और धन दोनों बदल दिए हैं। जिनके बाल सफेद हो गए हैं उन्हें दो मिनट में काला कर जवान बनाने की कला देखने को मिलती है। सिर पर ही कई प्रकार के डिजाइन मार्केट में देखने को मिल जाते हैं । बाल काटने के लिए कैंची का सहारा लिया जाता है लेकिन अब बिजली से चलने वाली ऐसे मशीन वैज्ञानिकों ने अविष्कार किए हैं कि उसे बाल के पास ले जाने की देरी होती है वह जैसे चाहो वैसा बाल चंद मिनटों में ही काट देते हैं बावजूद इसके गांव में पौनी पसारी के अंतर्गत मोबाइल सेलून प्रचलित है। यह एक जगह पर नहीं रहते बल्कि गांव की गलियों में घूम घूम कर जिनके भी बाल बड़े हुए हैं या जिनको दाढ़ी बनाना है उनके पास जाकर अपना कारीगरी दिखाते हैं।
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गांव में जैसे जैसे लोग आते हैं उसी के अनुसार उन्हें सेवा दी जाती है। उन्होंने बताया कि पौनी पसारी के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति के पीछे काठा धान या फिर पैसा दिया जाता है। अलग अलग गांव में मंगलवार को छुट्टी लेते हैं बाकी सप्ताह के बुधवार से लेकर सोमवार तक ड्यूटी देते हैं। किसी के घर में छठ्ठी,
ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से बाल दाढ़ी बनाने का काम कर रहे हैं। इसमें अनुभव ऐसा है कि कैंची इनके हाथ पर नाचती है छुरा लेकर मिनटों में ही दाढ़ी बना देते हैं । यह सुबह से ही गांव के चौराहे पर जाकर बैठ जाते हैं और लोग इनके पास आकर बाल दाढ़ी इत्यादि का काम विवाह संस्कार या फिर मृत्यु संस्कार का अवसर हो तो उनके लिए अलग से राशि तय की गई है। बताया गया की प्रदेश सरकार के द्वारा पौनी पसारी के अंतर्गत काम करने वाले कारीगरों के उत्थान के लिए कोई योजना बनाई जाए ताकि हमें भी आगे बढ़ने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सबके विकास एवं उत्थान के लिए काम कर रही है हमारे आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए कुछ योजनाएं बनाकर लाभ पहुंचाएं। बताना होगा कि गांव में भी अब धीरे-धीरे मोबाइल सैलून के बजाए स्थाई सैलून खुलते जा रहे हैं जिसमें ब्यूटी पार्लर से लेकर अनेक कार्य किए जा रहे हैं अब तो महिलाएं ब्यूटी पार्लर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रही है। पुरुष भी सेलून व्यवसाय के जरिए रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में मोबाइल सैलून का होना अपने आप में परंपरा एवं इतिहास को संजोकर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
तेजी से बढ़ी है महंगाई और कमाई कम उन्होंने आगे बताया कि तेजी से बढ़ रही महंगाई के चलते इनकम कम हो रहा है। सिलेंडर से लेकर तेल सब्जी से लेकर अन्य सामग्रियों की कीमत आसमान छू रही है ऐसे में सरकारी सहयोग हमें आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी।