Sunday, March 9, 2025
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यह घटना न केवल समाज को तोड़ने वाली है, बल्कि यह एक ऐसी कार्रवाई है जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती है।

बरतियाभांठा । राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों में आयोजित आरईईईटी परीक्षा के दौरान ब्राह्मण अभ्यर्थियों के जनेऊ उतरवाने की घटना को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य के ब्राह्मण समाज ने भारी नाराजगी जताई है। इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता करुणाकर उपाध्याय ने इसे घोर निंदनीय और अक्षम्य करार दिया है।

 

राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता करुणाकर उपाध्याय ने कहा है कि “यह घटना न केवल समाज को तोड़ने वाली है, बल्कि यह एक ऐसी कार्रवाई है जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती है। अभ्यर्थियों के धार्मिक प्रतीकों को हटाना या उनका अपमान करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। हमें अपने समाज की विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।”

 

श्री उपाध्याय ने आगे कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं के पुनरावृति नहीं हो इसका ध्यान रखने की अपील की। साथ ही ब्राह्मण समाज की आपत्ति पर त्वरित संज्ञान लेते हुए दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर संतोष व्यक्त करते हुए राजस्थान सरकार की सराहना की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में तनाव और भेदभाव को बढ़ावा देती हैं, जो किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं की जा सकतीं।

 

इस घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों ने भी अपनी नाराज़गी जाहिर की है।

 

श्री उपाध्याय ने मांग किया है कि समाज में सामंजस्य और भाईचारे को बनाए रखने के लिए इस प्रकार की घटनाओं के प्रति केंद्र सहित देश के सभी राज्यों की सरकारों को सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता है।

बरतियाभांठा । राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों में आयोजित आरईईईटी परीक्षा के दौरान ब्राह्मण अभ्यर्थियों के जनेऊ उतरवाने की घटना को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य के ब्राह्मण समाज ने भारी नाराजगी जताई है। इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता करुणाकर उपाध्याय ने इसे घोर निंदनीय और अक्षम्य करार दिया है।

राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता करुणाकर उपाध्याय ने कहा है कि “यह घटना न केवल समाज को तोड़ने वाली है, बल्कि यह एक ऐसी कार्रवाई है जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती है। अभ्यर्थियों के धार्मिक प्रतीकों को हटाना या उनका अपमान करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। हमें अपने समाज की विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।”

श्री उपाध्याय ने आगे कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं के पुनरावृति नहीं हो इसका ध्यान रखने की अपील की। साथ ही ब्राह्मण समाज की आपत्ति पर त्वरित संज्ञान लेते हुए दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर संतोष व्यक्त करते हुए राजस्थान सरकार की सराहना की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में तनाव और भेदभाव को बढ़ावा देती हैं, जो किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं की जा सकतीं।

इस घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों ने भी अपनी नाराज़गी जाहिर की है।

श्री उपाध्याय ने मांग किया है कि समाज में सामंजस्य और भाईचारे को बनाए रखने के लिए इस प्रकार की घटनाओं के प्रति केंद्र सहित देश के सभी राज्यों की सरकारों को सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता है।

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